Friday 19 July 2013

मैं खड़ा होकर ही परीक्षा दे लूंगा।

मालिक (नौकर से) जाओ कोई खाली रिक्शा ले आओ। नौकर (वापिस आकर) साहब जी, कोई खाली रिक्शा नहीं मिलता। हर रिक्शा पर कोई न कोई बैठा होता है।

बाप (बेटे से) बेटा दिल लगाकर पढा करो। बेटा, मगर आप तो ऐनक लगा कर पढते हैं।

टीचर ने शिष्य से कहा, अगर तुम कल फीस न लाए तो परीक्षा में नहीं बैठ सकोगे। शिष्य कोई बात नहीं सर, मैं खड़ा होकर ही परीक्षा दे लूंगा।

भटिण्डा रेलवे स्टेशन पर एक मुसाफिर ने टिकट खिड़की पर कहा, बाबू जी एक टिकट जालंधर का देना। टिकट बाबू भई गाड़ी तो चली गई है। मुसाफिर अच्छा तो जरा एक पोस्ट कार्ड जल्दी से दे दो। मैं घर पत्र लिख दूँ कि मेरी राह न देखें, मैं अगली गाड़ी से आऊगा।

भारत सेवक नगर का एक नाई बहुत ही बातूनी था। विनय मोहन जी उससे बाल कटवाने गए। नाई बात शुरु करने के लिए बोला, साहब बाल कैसे काटूं? विनय मोहन जी शान्त स्वर में बोले, खामोशी से।

No comments:

Post a Comment